वो किस्से
जिस भीड़ से कभी डरता था ,
आज
उसी भीड़ का हिस्सा हूँ ,
मैं
अपनी ही कहानी का एक किस्सा हूँ
!
पीछे
छूट गए जो दोस्त ,
वो
आज भी याद है ,
यह
वक़्त लौट जाए ,
बस
यही फ़रियाद है !
तब
जेबें खाली थी और दिल भरे थे
,
आज
जेबें भरी और दिल खाली है ,
वो
चांदनी रातें ,आज
काली है !
लौट
जाओं ,उन
वादियो मैं ,
जहां
दोस्ती और रिश्तो की ताज़गी
रहती थी ,
जहां
ख़ुशी और ज़िन्दगी की लहर बहती
थी !
वो
पल जाने कहा खो गए ,
आज
भी ढूंढता उन हिस्सो को ,
युह
ही लिख के जी लेता हूँ उन किस्सो
को !