Wednesday, September 12, 2007

तेरी यादें !

ख़्वाब सा सजाये रखा था तुझे ,
तेरी यादें आती है तो ,
आज भी रुलाती है मुझे!

पलकों को सिसकने की आहट आती है ,
उन्हें पता है क्या करना है ,
पल मई भर आती है!

तू चाहे याद करे या न करे ,
एक तू ही है ,
जिसकी याद मॆं यह दिल आहे भरे!

मंज़िल से पहले यु बिछड़ जायेंगे,
यह कभी सोचा न था ,
की तुम्हे नज़रों से दूर पाएंगे!

तेरे दूर जाने का गम इतना है भारी ,
तू चाहे या न चाहे ,
मेरी कोशिश आज भी है जारी !

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