Friday, November 4, 2016

                           
                            वो किस्से 


जिस भीड़ से कभी डरता था ,

आज उसी भीड़ का हिस्सा हूँ ,

मैं अपनी ही कहानी का एक किस्सा हूँ !



पीछे छूट गए जो दोस्त ,

वो आज भी याद है ,

यह वक़्त लौट जाए , बस यही फ़रियाद है !



तब जेबें खाली थी और दिल भरे थे ,

आज जेबें भरी और दिल खाली है ,

वो चांदनी रातें ,आज काली है !



लौट जाओं ,उन वादियो मैं ,

जहां दोस्ती और रिश्तो की ताज़गी रहती थी ,

जहां ख़ुशी और ज़िन्दगी की लहर बहती थी !



वो पल जाने कहा खो गए ,

आज भी ढूंढता उन हिस्सो को ,

युह ही लिख के जी लेता हूँ उन किस्सो को !